Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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एक जलन पुरानी .....

 

जब कभी ,
याद तुम्हारी ....
मन के सपनीले समुन्दर में
तिरती है
एक जलन ,
जिन्दगी के पृष्ठों को
कुतरती है ......
तुम मेरी हो न सकी
महज इसलिए
कि ......
चांदी का गुलमोहर....
टांक नही सका मै ,
तुम्हारे जूड़े में

 

 

 

शिव कुमार यादव

 

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