Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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वक्त

 

 

खाली हो गया आंसुओं से
मेरी आँखों का पैमाना.
नहीं रहा अब मेरी गलियों में
तेरा आना जाना.

 

कौन बेरहम है, कह नहीं सकता
वक्त या वक्त का फ़साना.
लुट गया जज्बातों का मेला
नहीं रहा अब कोई बहाना,

 

बदलते मौसम से बदल गए
तेरी आरजू, तेरा ख़याल.
नहीं रहा अब, मेरे नाम से
तेरे गालों में वो गुलाल,

 

दफ़न हो गया सपनो का
सजना – सजाना..

 

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