Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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बाबुजी

 

मेरे बापु कहीँ से भी खुशी मुझको दिलाते हैँ।
जहर पी लेते हैँ मेरा मूझे अम्रत पिलाते हैँ।


 

मै उनके प्रेम का कर्जा चुका ना पाऊँगा शायद।
सभी खुशियाँ दिला कर वो मेरा कर्जा बढाते हैँ।


 

पढाई ही सभी कुछ है बहुत पढना मेरे बच्चे।
सही तालीम लेकर के शिखर चढना मेरे बच्चे।
तरक्की के सभी करतब मेरे बापु सिखाते हैँ।


 

मुझे दुनियाँ मे जी लेना सिखाया है पिताजी ने।
मै जब भी गिर पडा थक कर उठाया है पिताजी ने।
मेरी गिरती हुई उम्मीद को बापू उठाते हैँ।


 

वो अपनी बुढी हड्डी से मेरा जिम्मा उठाये हैँ।
वो इस बेरहम दुनियाँ से मुझे हरदम बचाये हैँ।
मुझे सारी बलाओँ से मेरे बापू बचाते हैँ।


 

मिटा डालुँगा मै एक दिन गुनहगारोँ की दुनियाँ को।
दिला दुँगा मै आजादी सभी जुल्मोँ से दुनियाँ को।
मेरे अन्दर की जाबाजी को बाबुजी जगाते हैँ।


 

मुझे सब देते हैँ बापू कमी करते नही कोई।
कोई हो मेरे बापू सा नही ऐसी जमीँ कोई।
मेरे जीवन मे खुशियोँ के कमल बापू खिलाते हैँ।

 

 

 

 

'शिव'

 

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