Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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बेटी युँ ना अश्क बहाओ

 

बेटी युँ ना अश्क बहाओ,
खुशी खुशी पीहर को जाओ।
जिस आँगन की बहु बनी हो,
उस आँगन को स्वर्ग बनाओ।




दर्द पिया की खातिर सहना।
उनको अपना सब कुछ कहना।
कलयुग मे भी सीता बनकर,
दुख मे उनके संग संग रहना।
सात वचन सातोँ फेरोँ के,
बेटी तुम हर हाल निभाओ।




सिर को कोई झुका ना पाये।
दिल से तुम्हे गिरा ना पाये।
दुष्ट कुलक्षनि कहकर तुम पर,
ऊँगली कोई उठा ना पाये।
माँ का नाम करो तुम रौशन,
बाबू जी की लाज बचाओ।




अपने मन का राम बना कर।
दिल मे रखना उन्हे बसा कर।
वक्त पडे तो प्यार निभाना,
उन पर अपनी जान लुटा कर।
अपने पावन प्रेम से अपने,
साजन का संसार सजाओ।




हर दम अच्छे काम करो तुम।
काँटो से ना कभी डरो तुम।
हरा भरा हो जाये जीवन,
खुशियोँ का वो रंग भरो तुम।
जिसमे है पतझड का मौसम,
उस बगिया मे फुल खिलाओ।




चाँद सितारे माँग सजायेँ।
परियाँ खुद श्रंगार करायेँ।
सुख समृद्धि करेँ गुलामी,
खुशियाँ तुम पर खुशी लुटायेँ।
मेरी है बस यही दुआ तुम,
खुशियोँ का त्यौहार मनाओ।

 

'शिव'

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