Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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देखो मेरा वक़्त ये बेहतर बदला है

 

देखो मेरा वक़्त ये बेहतर बदला है।
इक लडकी की शक्ल मे गौहर बदला है।



आई है वो छुप के मुझसे मिलने को।
मेरा भी क्या खुब मुक़द्दर बदला है।



कर लीँ सभी क़ुबुल दुआयेँ हैँ मेरी।
कितने दिन के बाद ये पत्थर बदला है।



 

मौसम भी न रंग बदलते होगेँ युँ।
जिस तरह वो आज सितमगर बदला है।



जब से उसका यार हुआ है दिल छोटा।
आँखो के आँसु मे समन्दर बदला है।



वो हरदम इल्ज़ाम लगाता है मुझ पर।
जिसने खुद सौ बार करेक्टर बदला है।



ना ही वो प्रभु राम रहे ना वो सीता।
कलयुग ने इस तरह स्वयंर बदला है।

 


'शिव'

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