Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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दिल का टुकडा हैँ दुलारी बेटियाँ

 

 

दिल का टुकडा हैँ दुलारी बेटियाँ।
हमको बेटोँ से हैँ प्यारी बेटियाँ।


बेटे नालायाक हुयेँ तो क्या हुआ।
काम आयेगी हमारी बेटियाँ।


क्युँ किसी भी शख्स के ज़ुल्मो सितम।
सह रही हैँ गम की मारी बेटियाँ।

 

बेटे शादी करके हो जायेँगे फुर्र।
साथ देँगी ये तुम्हारी बेटियाँ।

 

उनके बुढे हाथ ना रोके रुकेँ।
घर मे होँ जिनके कुँवारी बेटियाँ।


जिनके ना घर बार ना भाई बहन।
कैसी होगीँ वो बेचारी बेटियाँ।


गर कोई बढकर के उनको थाम ले।
क्युँ करेँ चोरी चकारी बेटियाँ।

 

आज 'शिव' इनको अगर बेटी कहेँ।
भीख क्युँ माँगेँ भिखारी बेटियाँ।

 


'शिव'

 

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