Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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दिलाके प्यार कभी जिन्दगी हँसाती है

 

दिलाके प्यार कभी जिन्दगी हँसाती है।
छीनकर प्यार कभी जिन्दगी रुलाती है।


रंग बदले हैँ जमाने मे मेरे अपनो ने।
किया है मुझको ही गुमराह मेरे सपनो ने।

 

कभी तो मरहमोँ ने जख्म दे दिये सौ सौ।
कभी सहलाया मेरा दर्द मेरे जख्मो ने।

 

बदल के पल मे ही हालात मेरे रह रहकर।
अजब से रंग मुझे जिन्दगी दिखाती है।

 

कभी तो खुब मुझे दिलरुबा का प्यार मिला।
दिल के अरमान बढे रुह को निखार मिला।

 

जिन्दगी ने मगर वो हाल कर दिया मेरा।
ना वो ही मिल सका ना उसका इन्तजार मिला।


बिना महबुब के ये दिल भी अब नही लगता।
अब तो कुछ कम ही मुझे जिन्दगी सुहाती है।

 

किसी को क्या पडी है जो कोई मुझे पुछे।
सबको अपनी पडी है कोई क्युँ मेरी सोचे।


मेरे बेदर्द मुकद्दर ने मुझे युँ मारा।
भुख और प्यास से मुझे रास्ता नही सुझे।


मेरी गरीबी पर हँसना सभी को आता है।
मुझे गरीब कह के जिन्दगी चीढाती है।

 

 


'शिव'

 

 

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