Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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2 अक्टुबर

 

2 अक्टुबर को जन्मे थे वतन के दो रखवाले।
भारत को दिन रात सजाते चमन के दो रखवाले।

 


एक का नाम था बापु गाँधी एक का नाम बहादुर।
एक करे भारत को निर्मीत एक अहिँसा आतुर।
देश पे ही मरते जीते थे अमन के दो रखवाले।

 


भारत के हर वीर पुरुष ने हँसकर जान गँवा दी।
भारत की आजादी खातिर अपनी लाश बिछा दी।
फुँक शहादत की भरते थे कफन के दो रखवाले।

 


आजादी पाने की धुन मे सभी हुए दिवाने।
आग जलाकर इंकलाब की दुश्मन लगे भगाने।
क्रान्ती आग जलाकर रखते तपन के दो रखवाले।

 



आँसु जब बहते लोगो के ये खुशियाँ बन जाते।
उनकी जान बचाने खातिर ये आगे तन जाते।
आँसु ना बहने देते थे नयन के दो रखवाले।

 

 

।शिव।

 

 

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