Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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दुनियाँ मे जीने की खातिर क्या से क्या करना पडता है

 

दुनियाँ मे जीने की खातिर क्या से क्या करना पडता है।
एक दफा मुश्किल से जी कर कई दफा मरना पडता है।

 




प्यार, मोहब्बत, रहमदिली से जीने की उम्मीद ना करना।
कदम कदम पर सब को यारोँ दुनियाँ से लडना पडता है।

 




लोगोँ के ताने सुन सुनकर दिल मुँह को आ जाता है।
आँखो को सपनोँ के बदले अश्कोँ से भरना पडता है।

 




नियम और कानुन यहाँ का बन्द है ठण्डे बस्ते मेँ।
वीरोँ को भी इस दुनियाँ मे बुज़दिल से डरना पडता है।

 



'शिव'

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