Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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हम अपनी दास्तान-ए-गम यहाँ सुनाएँ किसे

 

हम अपनी दास्तान-ए-गम यहाँ सुनाएँ किसे ।

नीँद मे सोया है इन्साँ यहाँ जगाएँ किसे ।



गम ही तो यार है मेरा भरे जमाने मे ।

हम तो हो जायेगेँ तनहाँ यहाँ भगाएँ किसे ।


अपनी नियत से वो गिरने को खडा रहता है ।

यहाँ हर शख्स गिरा है यहाँ उठाएँ किसे ।


पेट मे पलती हुयी बेटी मारते हैँ सब ।

यहाँ हर शख्स है मुजरिम यहाँ बचाएँ किसे ।


प्यार पायेगा यहाँ दिल बेदाग हो जिसका ।

जख्म से छलनी हुआ दिल यहाँ दिखाएँ किसे ।

 

 

 

। शिव ।

 

 

 

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