Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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हम प्यार करेगेँ भले ही जलते रहेँ लोग

 

 

हम प्यार करेगेँ भले ही जलते रहेँ लोग।
मानेगेँ नही हार चाल चलते रहेँ लोग।

 


हम तुमको बनाकर के युँ ले जायेगे दुल्हन।
बस हाथ अपने हाथ से मलते रहेगेँ लोग।


 

 

हम प्यार की ताकत से युँ छा जायेगेँ सब पर।
एक एक करके प्यार मे ढलते रहेगेँ लोग।


 

 

किस्मत के भरोसे से ना हो पायेगा अब कुछ।
कब तक दुआ की आँड. मे पलते रहेगेँ लोग।

 


जब तक हम अपने दिल पे ना कर पायेगेँ काबु।
तब तक वफा के नाम से छलते रहेगेँ लोग।


 

 

जब तक हम अपने देश को समझेगेँ गन्दगी।
रिशवत के पकौडो को ही तलते रहेगेँ लोग।


 

 

जब तक ना लोहे के चने दुश्मन को चबा दुँ।
सीने पे मेरे मुँग ही दलते रहेगेँ लोग।


 

 

बचपन से ही लोगो को जो अच्छी मिले सँगत।
इज्जत से सभी फुलते फलते रहेगेँ लोग।


 

 

बातोँ का 'शिव' की लोगो पे होगा ना कुछ असर।
मिलते ही मौका दिल को कुचलते रहेगेँ लोग।


 

 

नेताजी आँसुओँ से लुट लेगेँ वोट बैँक।
झुठी खुशी सजाके उछलते रहेगेँ लोग।

 

 

 

।शिव।

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