जब प्यार गुजरता है हद से तब दुनियाँ डरने लगती है।
मिलने लगते हैँ जब दो दिल तनहाई मरने लगती है।
काँटो से भी लड जाते हैँ, बागो मे खिलने की खातिर।
सिर पर तुफान उठाते हैँ, महबुब से मिलने की खातिर।
दुनियाँ आशिक से मिलने मे जब आफत करने लगती है।
राधा मीरा बन जाती है, आशिक पे दिल आ जाने पर।
दीवानी सी हो जाती है, महबुब की चाहत पाने पर।
महबुबा अपने आशिक को पलकोँ पे धरने लगती है।
चाहत की बुलन्दी से दबकर, पर्वत भी झुँक से जाते हैँ।
दिल मे उठती हलचल सुन कर, तुफाँ भी रुक से जाते हैँ।
बाहोँ मे आकर महबुबा जब आँहेँ भरने लगती है।
करता हो प्यार से नफरत जो उस रब से कोई काम नही।
प्रियतम की नगरी से अच्छा कोई भी तीरथ धाम नही।
आ कर दीवानोँ के दर पे गंगा भी तरने लगती है।
'शिव'
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