Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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झुठे अभिनय मे बेहुनर हुँ मै

 

झुठे अभिनय मे बेहुनर हुँ मै।
इसिलिये तो बेअसर हुँ मै।



लोग करते हैँ जहाँ कत्लो फ़रेब।
ऐसी दुनियाँ से बेखबर हुँ मै।


 

सत्यता की नुकीली राहोँ पर।
आज अपना ही हमसफर हुँ मै।


 

आपकी दिलफ़रेब नज़रोँ मे।
कितनी मुद्दत से बेनज़र हुँ मै।


आज की चालबाज दुनियाँ मे।
कैसे कह दुँ कि कारगर हुँ मै।


जिस्त की पोल खुली है जब से।
मौत पाने को बेसबर हुँ मै।


ढोँगियोँ की हँसीन महफिल मेँ।
मानता हुँ कि बेक़दर हुँ मै।


'शिव'

 

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