Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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झुठी दुनियाँ बनाई जाती है

 

झुठी दुनियाँ बनाई जाती है।
ज़ुल्म की जाँ बचाई जाती है।

 

 

कर के इस झुठ की दवा दारु।
सच की अर्थी उठाई जाती है।

 

 

बेटियाँ बेँचकर के कोठोँ पे।
बँगला कोठी बनाई जाती है।

 

 

पीठे पीछे से वार कर कर के।
झुठी चाहत दिखाई जाती है।

 

 

प्यार के बीज को दफन करके।
ज़ुल्म की जड उगाई जाती है।

 

 

आज कल पिक्चरोँ मे देखो तो।
सिर्फ गाली सिखाई जाती है।

 

 

मुफलिसोँ को तबाह कर के आज।
महँगी बस्ती बसाई जाती है।

 



'शिव'

 

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