Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जिसके दिल मेँ प्यार भरा है वो ही शिष्टाचारी है

 

जिसके दिल मेँ प्यार भरा है वो ही शिष्टाचारी है ।

जिसके दिल मे नफरत उपजे वो ही दुर्व्यवहारी है ।



इज्जत की दो रोटी खाना पैसोँ पर ना मरना तुम ।

दुनिया मे सच्चे लोगोँ ने काली रात गुजारी है ।


अपने आप को इस नफरत से दूर ही रखे रहना तुम ।

तुम हो सुखे पत्ते जैसे ये नफरत चिँगारी है ।


प्रेम, मोहब्बत, दुआ, दया सब रहमत ऊपर वाले की।

कितनोँ ने इस साधन से ही अपनी नियत सँवारी है ।



धूम्रपान की लत मेँ आकर भूल गये हम शिष्टाचार ।

बीडी, सिगरेट, मध्यपान ने इँन्सा की मत मारी है ।


दुआ की सबसे ही ऊँची परवाज है ऐ मेरे यारोँ ।

दुआ से है शान ओ शौकत दुआ से बँगला गाडी है ।

 

 


! शिव !

 

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