जिसके दिल मेँ प्यार भरा है वो ही शिष्टाचारी है ।
जिसके दिल मे नफरत उपजे वो ही दुर्व्यवहारी है ।
इज्जत की दो रोटी खाना पैसोँ पर ना मरना तुम ।
दुनिया मे सच्चे लोगोँ ने काली रात गुजारी है ।
अपने आप को इस नफरत से दूर ही रखे रहना तुम ।
तुम हो सुखे पत्ते जैसे ये नफरत चिँगारी है ।
प्रेम, मोहब्बत, दुआ, दया सब रहमत ऊपर वाले की।
कितनोँ ने इस साधन से ही अपनी नियत सँवारी है ।
धूम्रपान की लत मेँ आकर भूल गये हम शिष्टाचार ।
बीडी, सिगरेट, मध्यपान ने इँन्सा की मत मारी है ।
दुआ की सबसे ही ऊँची परवाज है ऐ मेरे यारोँ ।
दुआ से है शान ओ शौकत दुआ से बँगला गाडी है ।
! शिव !
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