Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जिसे अपनी माँ से मोहब्बत नही है

 

जिसे अपनी माँ से मोहब्बत नही है।
उसे जिन्दगी की इजाजत नही है।

 



तेरे पास माँ है तो तु है शँहशाह।
दुआ देगी माँ तो जियेगा बेपरवाह।

 


दुआ के बिना सल्तनत खण्डहर है।
दुआ से बडी कोई दौलत नही है।

 



ये माँ अपने बच्चोँ की रक्षा है करती।
सभी दर्दो गम की उपेक्षा है करती।


 

 

जो ममता के आगे नजर भी उठाये।
जमाने मे ऐसी कयामत नही है।

 


इसी माँ ने हमको है खाना खिलाया।
कडी धुप से हमको हरदम बचाया।


 

 

ये माँ ही तो सबकी सुरक्षा कवच है।
बिना माँ के कोई सलामत नही है।


 

 

पले गोद मे इनकी तुम नौ महीने।
मिली जान इनसे लगे तुम भी जीने।

 


अकेला ना माँ को कभी छोडियेगा।
गुजारिश है मेरी नसीहत नही है।


 

 

अगर माँ नही तो ये दौलत है फीकी।
ये इज्जत ये पैसे ये शोहरत है फीकी।

 


वो इंसान सबसे बडा है भिखारी।
जिसे अपनी माँ की जरुरत नही है।

 


'शिव'

 

 

 

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