Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जिसे प्यार करते हैँ हम हद से ज्यादा

 

जिसे प्यार करते हैँ हम हद से ज्यादा।
वो ही हमसे दुरी बनाये हुए हैँ।

 

 

किसी रोज वो मुझको अपना कहेगेँ।
वो घर छोडकर मेरे दिल मे रहेँगे।

 

 

कभी ना कभी आयेगेँ लौटकर वो।
यही आस उनसे लगाये हुए हैँ।

 

 

ये दिल भी है उनका जवानी भी उनकी।
मेरी साँस और जिन्दगानी भी उनकी।

 

 

तबाह करके खुद को भी राहोँ मे उनकी।
गुलोँ की तरह दिल बिछाये हुए है।

 

 

हमारा ही दिल हमको करता है पागल।
किया करता है खुद को खँजर से घायल।

 

 

मेरी बेखुदी का उन्हे दोष देँ क्युँ।
हम अपने ही दिल के सताये हुए हैँ।

 

 

उन्हे अजनबी बाँहो मे झुमना है।
किसी गैर को प्यार से चुमना है।

 

 

हमारे नही हैँ वो ये जानकर भी।
उन्हे अपने दिल मे बसाये हुए हैँ।

 

 

जो आये इधर वो तो रुसवाई होगी।
जमाने मे उनकी ना सुनवाई होगी।

 

 

वो रुसवाईयोँ और जमाने के डर से।
मोहब्बत को दिल मे छुपाये हुए हैँ।

 

 

बिना यार के हम जियेगेँ भी कब तक।
जहर उम्र भर का पियेगेँ भी कब तक।

 

 

कभी लाश खुद को उठाती नही हैँ।
ये 'शिव' हैँ जो खुद को उठाये हुए हैँ।

 

 

 

'शिव'

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