Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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कभी तो वफाओँ की बरसात होगी

 

कभी तो वफाओँ की बरसात होगी।
मेरी दिलरुबा से मेरी बात होगी।

 


कभी मेरे सर से हटेगी गरीबी।
दुवा की बदौलत मिटेगी गरीबी।

 

 

मेरी बदनसीबी मुझे छोड देगी।
मुक्कमल कभी मेरी औकात होगी।

 

 

कभी मै मोहब्बत के सपने बूनुँगा।
कभी तेरी चाहत के नग़मेँ सुनुँगा।

 

 

मुझे तेरी ज़ुल्फोँ के साये मिलेँगे।
महकती हुई मेरी हर रात होगी।

 


दुवाओँ मे तुझको मै माँगुगा रब से।
तुम्हे माँनता हूँ ख़ुदा जाने कब से।

 

 

ख़ुदा को भी मै जीत लूँगा ख़ुदा से।
अगर जानेमन तु मेरे साथ होगी।

 

 

ग़जल तु मेरे गुनगुनायेगी जिस दिन।
ग़जल बनके तु खिलखिलायेगी जिस दिन।

 

 

मेरी साँस मे सातो सुर बज पडेँगे।
मेरी जिन्दगी जैसे नग़मात होगी।

 

 

मेरा प्यार तुझको हरा देगा इक दिन।
तेरी सारी नफरत मिटा देगा इक दिन।

 

 

मेरे प्यार मे हार देगी तु ये दिल।
तेरे नफरतोँ की कभी मात होगी।

 

 

कभी अपने दिल मे तु 'शिव' को रखेगी।
नजर मे तेरी बस मोहब्बत दिखेगी।

 


लगा लेगी तु मुझको अपने जिगर से।
कभी तेरी चाहत की शुरुआत होगी।

 


'शिव'

 

 

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