Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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खुशहाल कर दो माँ

 

भक्ति से अपने मुझ को मालामाल कर दो माँ।
बन जाऊँ मै भगत कोई कमाल कर दो माँ।


फेरो दया की द्रष्टि मुझ पे रहम करो माँ।
बन जाये मेरी जिन्दगी निहाल कर दो माँ।

 

पैसोँ के बल पे करते हैँ जो पाप दुराचार।
तुम अपने दोनो हाथ से उनका करो संहार।
दुष्टोँ के धन्य धान को कँगाल कर दो माँ।


मुझमे बुराईयोँ का कोई दोष ना मिले।
कर जाऊँ ऐसा काम की अफसोस ना मिले।
मेरे मन की यातनाओँ को निढाल कर दो माँ।

 

 

 

'शिव'

 

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