मेरे चाहत भरे नगमे वो साज ए दिल पे गाता है।
जरा सी आँख लगने पर मुझे ख्वाबोँ मे पाता है।
कभी उस गुलबदन से मै वफा की भीख जो माँगु।
वो मेरे वास्ते सच्ची मोहब्बत लेके आता है।
हमारे धर्म का रक्षक वो खुद को बोलने वाला।
हवस की ताक मे बैठा हुआ प्रवचन सुनाता है।
बडी बेशर्म है दुनियाँ उसे धनवान कहती है।
जरा से पैसोँ की खातिर जो इज्जत बेँच खाता है।
करे है दिल से जो ख़िदमत बुजुर्गोँ और बेबस की।
बुजुर्गोँ की दुआ पाकर वो दुनियाँ जीत जाता है।
लडा करते हैँ आपस मे हम अक्सर नाम पर जिसके।
वही अल्लाह और ईश्वर वही हम सब का दाता है।
सियासी दौर आने पर दुआएँ माँगने वाला।
अगर पा जाये है कुर्सी तो सब पर जुल्म ढाता है।
'शिव'
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