Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मोहब्बत मे बरपा कहर ढुढना है

 

मोहब्बत मे बरपा कहर ढुढना है।
मुझे अपने दिल का जहर ढुढना है।


तवायफ का कोठा तुम्ही जा के ढुढोँ।
मुझे अपने मौला का दर ढुढना है।


 

जहाँ होँ मोहब्बत के बाशिन्देँ बसते।
मोहब्बत का ऐसा शहर ढुढना है।


मै कैसै करुँ सर कटाने की बातेँ।
मुझे तो अभी अपना सर ढुढना है।


 

तुम अपना सफर तो शुरु कर चुके हो।
मुझे तो अभी हमसफर ढुढना है।


 

मुझे भी हैँ देना जमाने को धोखा।
दिखावे का मुझको हुनर ढुढना है।


मेरे बाप दादा की अंतिम निशानी।
वो बरग़द का बुढा शजर ढुढना है।


'शिव'

 

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