Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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ना इस तरहा से ठुकराओ किसी का प्यार हम भी हैँ

 

 

ना इस तरहा से ठुकराओ किसी का प्यार हम भी हैँ।
दुवाओँ पास आ जाओ तेरे हकदार हम भी हैँ।


 

दिलो मे आग लग जाये जुलम इतना भी ना किजे।
कहीँ पर हम कँवल हैँ तो कहीँ तलवार हम भी हैँ।


 

कभी ना सोचना दुश्मन की हम लिखते ही रहते हैँ।
वतन पे जाँ लुटाने को सदा तैयार हम भी हैँ।


 

नही कहते हैँ हम ये की हम ही अच्छे हैँ दुनियाँ मे।
कहीँ करते हैँ हम अच्छा कहीँ बेजार हम भी हैँ।


 

कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई सिक्ख है कोई क्रिश्चन।
कभी दिल से हमे देखो तो एक परिवार हम भी हैँ।


 

बहुत टुटा है अपना दिल मगर हम जोडते आये।
अगर तुम गौर से देखो तो एक फनकार हम भी हैँ।


 

हम ही हिन्दू हम ही मुस्लिम हम ही हैँ सिक्ख और क्रिश्चन।
डरो हमसे जरा दुश्मन की भाई चार हम भी हैँ।


 

हम अपने दिल की तनहाई से भी महफिल सजाते हैँ।
कहीँ हम तनहा तनहा हैँ कहीँ दरबार हम भी हैँ।

 

 

 

'शिव'

 

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