Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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नवरात्री

 

माँ अम्बिका का मुझ को दीदार हो रहा है।
मुझ पर भवानी माँ का उपकार हो रहा है।

 

 

आई हैँ दुर्गा माता भारत की पुण्य भुमि।
भारत के दुश्मनो का संहार हो रहा है।

 

 

मईया जी रुठकर ना भारत से चली जायेँ।
दीपक जला दो भक्तो अँधियार हो रहा है।

 

 

गुणगान तेरा अम्बे करने लगा है जब से।
मईया तेरे भगत का परचार हो रहा है।

 

 

नवरात्री मे अम्बा माता जी खुश हुई हैँ।
आ जाओ भक्तजन का उध्दार हो रहा है।

 

 

कुकर्म त्याग कर के माँ की शरण मे आजा।
पापी तुम्हारा जीवन बेकार हो रहा है।

 

 

जीवन को मेरे बेहतर करने लगी हैँ अम्बे।
माँ अम्बिका पे मेरा अधिकार हो रहा है।

 

 

माँ अम्बिका के चरणो मे हो गया हुँ अर्पण।
अम्बा पे मेरा जीवन निसार हो रहा है।

 

 

हम पर भी अम्बेरानी कर दो दया की द्रष्टि।
माता हमारा जीवन दुशवार हो रहा है।

 

 

 

'शिव'

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