पैर की मेरे सभी को बेडियाँ दिखती हैँ बस।
खुन मे डुबी हुई ये उगँलिया दिखती हैँ बस।
क्युँ किसी की आँख से दिखता नही मेरा हुनर।
हर किसी को सिर्फ मेरी खामियाँ दिखती हैँ बस।
ना कोई रहबर है मेरा और ना ही नाखुदा।
डुबती आखोँ मे मेरी कश्तियाँ दिखती हैँ बस।
बज रही हैँ किस लिये इससे कोई मतलब नही।
दाद के भुखे को केवल तालियाँ दिखती हैँ बस।
गाँव के दंगे से किस तरहाँ से बच निकला हुँ मै।
आज भी आँखो मे मेरी गोलीयाँ दिखती हैँ बस।
किस तरह इनके बदन पर डाल दुँ गंदी नजर।
मुझको तो अब माँ बहन और बेटियाँ दिखती हैँ बस।
ईँट रखने की जुगत मे बिक गई इज्जत मेरी।
आपको तो सिर्फ मेरी कोठीयाँ दिखती हैँ बस।
फ्लैट के सपने दिखाकर घर हडपने के लिये।
आज भी सरकार को ये झुग्गियाँ दिखती हैँ बस।
क्युँ नजर आता नही भगवान का नामोँ निशाँ।
भुखे नंगे मुफलिसोँ की झोलियाँ दिखती हैँ बस।
'शिव'
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