Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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प्यास दिल को लगी की लगी रह गई

 

प्यास दिल को लगी की लगी रह गई।
नाम की बस मेरी जिन्दगी रह गई।



दे दिया उसने धोखा मुझे किसलिये।
प्यार मे क्या मेरे कुछ कमी रह गई।



हो गया ख्वाब आँखो से गायब कहीँ।
मेरी आँखो मे केवल नमी रह गई।



प्यार करके मुझे वो चला भी गया।
जिस्म मे उसकी खुश्बु बसी रह गई।



सुखे सहरा के जैसे लबोँ पे मेरे।
उम्र भर के लिये त्रिष्नगी रह गई।



भुख लाचारी दहशत के आगे यहाँ।
हाथ मलती मेरी बेकसी रह गई।



बेच पाया नही अपना ईमान मै।
इसलिये मेरे संग मुफिलिसी रह गई।


'शिव'

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