रात भर युँ जागने की नौकरी मे कुछ नही।
दर्द-ओ-गम को छोडकर के शायरी मे कुछ नही।
जिनका होना था उन्हे आखिर उन्ही के हो लिये।
अब रक़ीबो के वफा की मुखबिरी मे कुछ नही।
दिल की लेनी देनी मे दिल के है खो जाने का डर।
मान भी ले यार दिल की तस्करी मे कुछ नही।
आप के ये शौक मेरे होश कर देते हैँ गुम।
दो ही पल का लुत्फ है बस मसखरी मे कुछ नही।
लोग सच्चे प्यार को ये कहके ठुकरा देते हैँ।
छोड भी दे यार अब इस छोकरी मे कुछ नही।
प्यार का अंजाम दिल का टुट जाना है फ़क़त।
है शुरु मे लुत्फ लेकिन आखिरी मे कुछ नही।
अपने बुजदिल हौसलोँ को तोड भी डालो ऐ 'शिव'।
कुत्तोँ जैसा जीना है बस कायरी मे कुछ नही।
'शिव'
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