Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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राष्ट्रप्रेम

 

भारत के दुश्मनो को हम नर्क मे झोकेगेँ।
मानेँ ना प्यार से तो बन्दूक से ठोकगें।

 

करते हैँ छुप छुपाके जो दहशतोँ के करतब।
बाँटेगेँ मौत उनको क्या धर्म और क्या मजहब।
कर करके उनके टुकडे लाहौर मे फेकेगेँ।

 

दो घुँट खुन पीकर समझे हैँ शेर खुद को।
पहचान ना सकेगेँ ये अबकी बार खुद को।
बनकर के हम शिकारी इन कुत्तोँ को नोचेगेँ।

 

फुलझणीयोँ का अब इनके डटकर जवाब देगेँ।
इनके गुनाहोँ का अब इनसे जवाब लेगेँ।
अब आग बढ चुकी है ये आग क्या रोकेगेँ।

 

इन बुजदिलोँ को भारत अब ऐसी मौत देगा।
सीने पे रखके फरुही सीने को जोत देगा।
क्युँ शेर को जगाया ये मरके भी सोचेगे।

 

तुम शेर देश के हो कुत्तोँ से नही डरना।
मरते हो लडकियोँ पर इस देश पे भी मरना।
दुश्मन से नही डरना ये कुत्ते हैँ भौकेगेँ।

 

ये क्या किया है तुने सब भस्म हो गया है।
जीने का वक्त तेरा अब खत्म हो गया है।
पीयेगेँ तेरा खूँ हम तुझे खंजरेँ घोपेगेँ।

 

 

 

'shiv'

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