Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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रुठा जो मेरा यार मनाने

 

रुठा जो मेरा यार मनाने
मै आ गया।
रोता सा उसका चेहरा
हँसाने मै आ गया।


 


जिस जख्म ने मुझको तेरा आशिक बना दिया।
वही दिल का अपने जख्म दिखाने मै आ गया।


 


दिल दुँगा तुम्हे आज तभी
जान बचेगी।
दिल देके अपनी अपनी
जान बचाने मै आ गया।

 



रोकर तु मेरी चाहतोँ
के राज ना खोले।
अपनी वफा का राज छुपाने
मै आ गया।

 



तुमसे जरा सी दुरी भी
अच्छी नही लगती।
जीवन तुम्हारे साथ
बिताने मै आ गया।



 

 

ये प्यार ही पुजा है
यही प्यार इबादत।
ले सर को तेरे दर
पे झुकाने मै आ गया।


 


'शिव' अपनी जिन्दगी
से तु इतना है क्युँ खफा।
ले तुझसे तेरा प्यार
मिलाने मै आ गया।


 

 

'शिव'

 

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