ये शिष्टाचार से बढकर कहाँ कोई खजाना है।
बडे. हो जाओ कितने भी ये सर फिर भी झुकाना है।
मकाँ तुमने जो पाया है तो समझो बात ये है की।
तुम्हारे काम के सँग सँग दुआ का काम आना है।
तेरे माँ बाप ने तुझको फर्श से अर्श पहुचाया।
श्रवण बनना है अब तुझको तुझे रिश्ता निभाना है।
कहीँ ना खाक हो जाये चलन सम्मान देने का।
तुझे अपने बुजुर्गो की भी इज्जत को बढाना है।
सीखा अब तु जहाँ वालो को शिष्टाचार की बातेँ।
दुआ लेना गुरुजन का चलन कितना पुराना है।
अहमियत शिष्टाचारोँ की सभी के दिल मे तु भर दे।
ये है इंन्सान की ताकत ये दुनिया को दिखाना है।
पश्चिमी सभ्यताओँ से ना कर बदनाम भारत को।
तुझे तो हिन्द का ये सर बहुत ऊचाँ उठाना है।
ये है हिन्दू ये है मुस्लिम ये सिख है ये ईसाई है।
धरम मजहब का ये झगडा तुझे जड. से मिटाना है।
तुम्हारे काम से अब नाम तेरे कूल का ऊँचा हो।
ये शिष्टाचार के फन से तुझे दुनिआ पे छाना है।
। शिव ।
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