Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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शिष्टाचार

 

मुझे दुनिया मे जीना है मै शिष्टाचार सीखुगा।

छोडकर आज से नफरत अभी से प्यार सीखुगा।

 

 

बुराई अब मेरी रग रग मे शामिल हो नही सकती।
बुराई जैसे रावण का मै नरसॅहार सीखुगा।

 

 

जहाँ मानवता जीतेगी बुराई हार जायेगी।
बुजुर्गो से मै जाकर के यही व्यापार सीखुगा।

 

 

करुँगा बात अच्छे से मै इस दुनिया के लोगो से।
गरीबो का भला जिससे हो वो उद्धार सीखुगा।

 

 

किसी भी अच्छे कामोँ का करो आगाज खुद से ही।
मेरे दिल की बुराई से मै अब तकरार सीखुगा।

 

 

! शिव !

 

 

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