उडता है ये दिल का पँक्षी अपने दिल मे आस लिए ।
पहूँच ही जायेगा मंजिल तक चाहत का विश्वास लिए ।
लोँगो के उपहास से ही तो और भी उन्नति होती है ।
फिक्र ना कर कोई मिल जाये गर तुझ से उपहास लिए ।
एक नही तनहा तु जिसने अपने दिल को मारा है ।
घूम रहे हैँ जाने कितने अरमानोँ की लाश लिए ।
कहते हैँ दिल मर जानेँ पे इन्साँ भी मर जाता है ।
जिन्दा हूँ मैँ इस दुनिया मे फिर क्यूँ अपनी लाश लिए ।
अपनेँ दिल का दुख यारोँ जब अपनोँ मे बँट जातेँ हैँ ।
तनहा हूँ फिर क्यूँ अपनोँ मेँ अपनोँ को ही पास लिए ।
प्यार अगर एक फन है तो फिर जाहिल बन कर रहना तुम ।
! शिव ! का दिल बर्बाद हुआ है हुनर प्यार का खास लिए ।
। शिव ।
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