Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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ये लब हँस रहे हैँ तो दिल रो रहा है

 

 

ये लब हँस रहे हैँ तो दिल रो रहा है।
बता मेरे मालिक ये क्या हो रहा है।

 

 

किसी ने सितम की है कर ली कटाई।
कोई नफरतो के फसल बो रहा है।

 

 

जहाँ देखिये बेहयाई मिलेगी।
वफा ढुढीये बेवफाई मिलेगी।

 

 

वफा करने वाले दफन हो चुके हैँ।
मोहब्बत भी अपना हुनर खो रहा है।

 

 

अभी भी हैँ इंसानियत के सिपाही।
अभी भी करम कर रहे हैँ इलाही।

 

 

कोई आज जीता है गैरोँ की खातिर।
कोई आज गैरोँ का गम ढो रहा है।

 

 

मुझे तुमने धोखा दिया भी तो क्या है।
जहर तेरे हाथोँ पीया भी तो क्या है।

 

 

मुझे उस खुदा से नही कोई शिकवा।
मिला मेरी तकदीर मे जो रहा है।

 

 

जहाँ देखिये बस मची है तबाही।
कटी लाश ये दे रही है गवाही।

 

 

कोई लाश से ही लिपटकर के रोया।
कोई खुन के दाग को धो रहा है।

 

 

ऐ मेरे खुदा देख ले अपना करतब।
करेगा जुलम तु बता भी दे कब तक।

 

 

कोई ठण्ड की चादरोँ मे जमा है।
कोई मखमली नीँद मे सो रहा है।

 

 

 

।शिव।

 

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