Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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ये लगता नही है कि तु लौट आये

 

 

ये लगता नही है कि तु लौट आये।
जखम देने वाला ही मरहम लगाये।

 

दुआ कत्ल की अपनी माँगुगा रब से।
अगर तुझ सा क़ातिल मेरी जाँ बचाये।

 

मै तेरी ही बाँहो मे दम तोड दुँगा।
मुझे अपने सीने से गर तु लगाये।

 

यही सोचकर मै हुँ लिपटा ख़िजा से।
तु आकर कभी मेरा गुलशन सजाये।

 

तेरे झुठे वादोँ पे करके भरोसा।
बहुत रो रहा हुँ मै दिल को गवाँये।

 

मुझे दिन मे तारे नजर आ रहे थे।
मोहब्बत ने क्या क्या हमे दिन दिखाये।

 

मेरे दिल का हर दर्द मिल जाये तुझको।
कोई तेरे जैसा तेरा दिल दुखाये।

 

 

।शिव।

 

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