Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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ऐ माँ

 

तेरी गोद मे ही मचलता हुँ ऐ माँ।
तेरी उँगलियोँ से सम्भलता हुँ ऐ माँ।


 

मै ममता की स्नेहिल शुआओँ को लेकर।
तेरे दिल से निकली दुवाओँ को लेकर।
जहन्नुम की हद से निकलता हुँ ऐ माँ।


 

तुझे सोँच लु तो हँसु खिलखिलाकर।
तुझे अपनी रातोँ के सपनो मे पाकर।
मै बच्चोँ की तरहाँ उछलता हुँ ऐ माँ।


 

मेरी जिन्दगी मेरी किस्मत से रुठे।
जमाने की आफत मेरे सर पे टुटे।
अगर तेरे दिल को कुचलता हुँ ऐ माँ।


खिलौनो का कुछ टुट जाने पे अब भी।
किसी भी तरह रुठ जाने पे अब भी।
तेरी लोरियोँ से बहलता हुँ ऐ माँ।


 

किसी रहनुमा के
इशारे के बिन मै।
तेरी ऊँगलियोँ के सहारे के बिन मै।
कदम दर कदम पर फिसलता हुँ ऐ माँ।


युँ काँटो के बिस्तर पे बच्चोँ को सोते।
नही देख सकता मै बच्चोँ को रोते।
तेरी तरहाँ मै भी पिघलता हुँ ऐ माँ।

 

'शिव'

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