Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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ये मेरा दिल डरा डरा क्युँ है

 

ये मेरा दिल डरा डरा क्युँ है।
जख्म दिल का हरा हरा क्युँ है।

 


जिसने तोडा है मेरा दिल अक्सर।
प्यार उससे जरा जरा क्युँ है।

 

 

किसी को जान दे देने पर भी।
बोझ दिल पर मेरे धरा क्युँ है।

 

 

किसने दिल पर लगा दिया मरहम।
जख्म मेरा भरा भरा क्युँ है।

 

 

क्या कोई पाप कर दिया मैने।
मेरा ईमाँ मरा मरा क्युँ है।

 

 

काम करता है ये उल्टे सीधे।
प्यार का मुड सरफिरा क्युँ है।

 

 

जवाब साफ दे दिया है तो।
उलझा उलझा सा माज़रा क्युँ है।

 

 

प्यार मे जान तक लुटाने को।
हर एक शख्स बाँवरा क्युँ है।

 

 


'शिव'

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