Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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आपके दर पर दिवाना आ गया

 

आपके दर पर दिवाना आ गया।
प्यार करने का ज़माना आ गया।

 

 

महफिलोँ मे छा गईँ रंगिनियाँ।
प्यार का मौसम पुराना आ गया।

 

 

आपकी मदहोश आँखे देख कर।
युँ लगा मेरा ठिकाना आ गया।

 




सह सकुँगा आप से मै दुरियाँ।
प्यार मे खुद को सताना आ गया।

 

 

हुस्न वालोँ की ही मानिन्द आपको।
तीर नजरोँ का चलाना आ गया।

 

 

आपकी यादोँ मे तनहाँ बैठकर।
मुझको भी आँसु बहाना आ गया।

 

 

 


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'शिव'

 

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