Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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वक़्त की ठोकर

 

वक़्त  की  ठोकर  का  शिकार  हुये  है,

तबीयत ठीक है जिनकी अब वो बीमार हुये है,
चट्टानों  से  मजबूत  हौसलें थे जिनके,

वक़्त की मार से अब वो बेकार हुये है,
हमारे  बीच  अब  तो  दोस्ती  जैसा  कुछ  नहीं  बचा,

कुछ एहसानफरामोश और खुदगर्ज हमारे यार हुये है,
इंसान यहां दोहरे किरदार निभा रहा,

अब चोर यहां आज साहूकार  हुये है,
बाप को बात – बात पर अब आँख दिखा रहा है बेटा,

आधुनिकता  की  चकाचौंध  में गायब संस्कार हुये है,
-©® शिवांकित तिवारी “शिवा”         (युवा कवि एवं लेखक)संपर्क:- 7509552096

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