नदी अब बहुत गुमान में है,
कि वो आजकल उफ़ान में है,
ग़रीब तो आज भी फुटपाथ पर सोते है,
अमीरजादें तो अंदर अपने मकान में है,
जमीं से तो उनका रिश्ता ही टूट गया है,
अब तो उनका सारा ध्यान आसमान में है,
रंग बदलने की फितरत अब गिरगिट ने छोड़ दी,
कहा ये हुनर तो अब आजकल इंसान में है,
सभी मजहब और धर्मों वालें मिलकर जहां रहते है,
ऐसा भाईचारा तो सिर्फ और सिर्फ हिन्दुस्तान में है,
-©®शिवांकित तिवारी “शिवा” युवा कवि एवं लेखक
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