Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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खामोशियां

 

गुनहगार तुम नही
गुनहगार हम नही
फिर क्यु है ये मुजरिमो सी कैद
मोहब्बत ए इनकार तुम्हे नहीं
मोहब्बत ए इनकार हमे नहीं
फिर क्यु हैं ये मजबुरियां
बेवफा तुम नहीं
बेवफा हम नहीं
फिर क्यु हे ये दुरिया
एक पहल की हे कमी
बेवाक़िफ़ तुम नहीं
बेवाक़िफ़ हम नहीं
फिर क्यु हे ये खामोशियां

 

 

 

शोभा सालवी "श्री"

 

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