Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जिंदगी बेईमान

 

जिंदगी बेईमान


जिंदगी बड़ी है बेईमान,
कब दे जाए धोखा, 
इसका ना कोई दीन ईमान,
इसलिए "बंसल" कहता हूं इस को संभालो,
यह बड़ी है शैतान..!
इसकी मीठी चुपड़ी बातों में ना फंसना,
यह चंद दिनों की मेहमान,
बड़ी-बड़ी बातें करती है...!
हजारों सपने दिखाती है,
गैरों से ही नहीं, अपनों से भी दूर ले जाती है..!
इसका इतवार ना करना,
कहां ले जाकर छोड़ देवें,
इसके साथ न चलना..! 
इससे पल पल बचना,
इसकी चाल को समझना,
कहीं कोई चूक ना हो जाए,
बस हर घड़ी इससे बचना,
ना सच्चा दोस्त है,
ना यह सच्चा हमसफ़र....!
इसे मौत ना समझना...!
यही जिंदगी की सच्चाई है,
इसे दिल से समझना......!
दोस्तों, अगर दिल को छू जाए, तो जरूर शेयर करना....!

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