प्रभु सर्वोपरि
प्रभु चाहे तो मिनटों में ढेर कर दे,
चाहे जीवन का चाहे मृत्यु का खेल कर दे...!
किसी को धन से मालामाल,
किसी को कंगाल कर दे,
उसके सामने "बंसल" हम सब फेल हैं..!
ऐ इंसान तू अपना घिनौना खेल बंद कर दे...!
ना ढूंढ अपनों में गैर, ना ढूंढ गैरों में अपने..!
तू अपना यह मन का बहम दूर कर दे,
फिर तुम्हें सब अपने नजर आएंगे...!
तू उस मालिक का यह खेल शुरू कर दे,
ना होंगे लड़ाई झगड़े, ना होंगे दंगे फसाद...!
तू सदा खुश रहेगा, तेरा हाथ होगा प्रभु के हाथ...!
वो ही सबका मालिक है, उसका ये संसार,
तू लाख कोशिश कर ले... मालिक बनने की..!
तेरा खाली रहेगा हाथ, तेरा खाली रहेगा हाथ...!
बस तू मेरी इस बात का यकीन कर ले...!
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