Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

प्रभु सर्वोपरि

 

प्रभु सर्वोपरि


प्रभु चाहे तो मिनटों में ढेर कर दे,
चाहे जीवन का चाहे मृत्यु का खेल कर दे...!
किसी को धन से मालामाल,
किसी को कंगाल कर दे,
उसके सामने "बंसल" हम सब फेल हैं..!
ऐ इंसान तू अपना घिनौना खेल बंद कर दे...!
ना ढूंढ अपनों में गैर, ना ढूंढ गैरों में अपने..!
तू अपना यह मन का बहम दूर कर दे,
फिर तुम्हें सब अपने नजर आएंगे...! 
तू उस मालिक का यह खेल शुरू कर दे,
ना होंगे लड़ाई झगड़े, ना होंगे दंगे फसाद...! 
तू सदा खुश रहेगा, तेरा हाथ होगा प्रभु के हाथ...!
वो ही सबका मालिक है, उसका ये संसार,
तू लाख कोशिश कर ले... मालिक बनने की..!
तेरा खाली रहेगा हाथ, तेरा खाली रहेगा हाथ...!
बस तू मेरी इस बात का यकीन कर ले...!

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ