Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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तेरी मेरी कर दे बन्देया

 

तेरी मेरी कर दे बन्देया निकल ना जाँए प्राण,
ध्याला (जपला) उस राम नू बन्देया, जिसने सब नू बख़्शे प्राण,
तेरी मेरी कर दे बन्देया.....

 

झूठी नगरी, झूठी माया, झूठा सब संसार,
झूठी तेरी काया बन्देया, जिसने ध्याया ना कदे राम,
तेरी मेरी कर दे बन्देया.....

 

मोह माया विच पै के बन्देया, भुल गया तू राम,
जिन्ना नू तू अपना समझे, ओ तेरे ना कम आवांगे,
जदो छुट जाएँगे प्राण,
तेरी मेरी कर दे बन्देया.....

 

ऊँचे-ऊँचे महल हैं तेरे, उँचा तेरा नाम,
आगे पीछे मोटर काराँ, भुल गया तू राम,
ऐ ना तेरे कम आवांगे, ऐ ता झूठी शान,
तेरी मेरी कर दे बन्देया.....

 

धन दे लोभ विच पै के बन्देया, करेया ना कदे ध्यान,
पाई-पाई जोड़ दा रह गया, करेया ना कदे दान,
इक दिन ऐसा आएगा, निकल जाएँगे प्राण,
तेरी मेरी कर दे बन्देया.....

 

ना पक्षियाँ नू चोगा पाया, ना पशुआँ नू दाना,
जे कोई भूखा प्राणी मिल गया, मुहँ बट के ते जाना,
तेरी मेरी कर दे बन्देया.....

 

हुन भी गल "बंसल" दी मनला, राम दी जपला माला,
वरना बहुत पछताएगा, जिदो छडके दुनिया नू जाना,
तेरी मेरी कर दे बन्देया.....

 

 

 

लेखक:- श्री निरंजन कुमार बंसल

 

 

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