Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

*दूसरे का धन बर्बादी*

 
*दूसरे का धन बर्बादी*

ऐ खुदा के बंदे, कुछ सोच समझ के कर..!
क्या साथ ले जाएगा, इस बात का भी ध्यान रख..!
खाली हाथ तू आया है, तू खाली हाथ ही जाएगा..!
दूसरे के धन पे, तू अपनी नजर ना रख..!
उसका धन तुझे बर्बाद करके रख देगा..!
तू "बंसल" इस बात का भी ख्याल रख..!
जब तू इस बात का ख्याल रखेगा,
तो तेरे कदम ना डगमगाएंगे..!
गैरों में भी तुझको, अपने नजर आएंगे..!
ना लो किसी की बद्दुआएं, ना पहुंचाओ किसी को दुख..!
जब साथ कुछ जाना नहीं, गाओ प्रभु के गुण..! 

जय श्री राम
जय श्री राम

लेखक :- श्री निरंजन कुमार बंसल

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ