मुझे देखे अदाओं से तराना भूल जाता हूँ,
लिखे जो गीत यादों में, सुनाना भूल जाता हूँ ।।
निगाहें ढूँढती है खास कोई सैकडों में हो,
उसे जो देख लेता हूँ ज़माना भूल जाता हूँ।।
बनाई प्यार में रोटी परोसे प्यार से कोई,
मिले दो वक्त की रोटी खज़ाना भूल जाता हूँ ।।
बहे जो आँख से मोती कज़ा जैसा नज़ारा था,
कभी देखूं तबाही तो सताना भूल जाता हूँ ।।
'शुभम्' झूठी ज़ुबानो ने किया बर्बाद ऐसे है,
सुने दो झूठ तो मैं भी बहाना भूल जाता हूँ ।।
शुभम जैन
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