किताबों से निकल कर राम का आना जरूरी है,
कहानी को हक़ीक़त में लिखा जाना जरूरी है।
लबों पे तो सभी के आज कल हैं प्यार की बातें,
नज़र में प्यार का होना, नज़र आना जरूरी है।
बिना मेहनत के हों साकार ऐसे ख्वाब क्यो देखूँ,
ज़लज़लों का इरादों में समा जाना जरूरी है ।
ज़रा सी उम्र में मेरा तजुर्बा ये रहा अब तक,
भुला कर गम सभी ये जिंदगी गाना जरूरी है ।
गुलाबों का बिछौना राह पर मेरी नहीं तो क्या,
'शुभम्' भरपूर काँटों का मज़ा आना जरूरी है ।
-शुभम जैन
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