अभी होली दिवाली साथ में रमज़ान देखा है,
तराशा हुस्न का नायाब वो एवान देखा है।।
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हवाओं से चिरागों को बचाना और होता है,
घरों को तोड़ देता है कभी तूफ़ान देखा है?
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सुने मैंने सभी किस्से अभी उम्मीद है बाकी,
अभी जिंदा ज़माने में वफ़ा ईमान देखा है।।
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किताबों में न हो मौजूद वो नाकामियाँ मेरी,
मुझे देखो,कभी हारा हुआ इंसान देखा है?
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'शुभम्' वो रोज़ आते थे कभी मेरी भी गलियों में,
यहाँ थी रौशनी तुमने जिसे वीरान देखा है।।
Shubham Jain
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