Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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श्यामा सिंह

 

कुछ नाते
कुछ नाते-
बेनाम ही भले लगते हैं.
अपेक्षा नहीं रखते
किसी संबोधन की-
मन के अंदर
दिए की लौ से
जले रहते हैं.

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