Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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वो पहली मुह्ब्बत भुलाई न जाये

 

वो पहली मुह्ब्बत भुलाई न जाये
करूं लाख कोशिश मगर याद आये

थी बांकी वो चितवन था उलझा मेरा मन
हटी आँख कब थी वो मेरे हटाये

हमारी निगाहें हुई चार थी जब
थे पलकों ने कुछ ख्वाब स्वर्णिम सजाये

मुझे तो यकीं था उसे पर नहीं था
इसी बात पर हो गये हम पराये  


सुनी उनकी बातें हुये ज़ख्म दिल पर
भला इन पे अब कौन मरहम लगाये

गये चुटकियों में वे दिन चार यारो
कहें सब जिन्हे थे सितारों के जाये

निगाहें पड़ी जब जमाने की हम पर
नहीं उसकी नजरों मे हम थे सुहाये

मुहब्बत के दुश्मन थे आड़े यूं आये
बदन काटकर थे    हमारे बिछाये

बनाए जो बिगड़ा मुक्ददर हमारा
पुकारे मेरा दिल फरिश्ता वो आये

करे मेघ से‘श्याम’फरियाद यारो
मेरे दर्द के गीत उन्हे जा सुनाये

फ़ऊलुन-फ़ऊलुन-फ़ऊलुन-फ़ऊलुन
 

श्यामसखा ‘श्याम’

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