अपनी आवाज सुनाऊँ कैसे,
शोर बहुत है।
अपने पंख फैलाऊँ कैसे,
आंधियाँ बहुत है।
फर्श से अर्श तक जाऊँ
कैसे,दूरियाँ बहुत है।
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अपनी आवाज सुनाऊँ कैसे,
शोर बहुत है।
अपने पंख फैलाऊँ कैसे,
आंधियाँ बहुत है।
फर्श से अर्श तक जाऊँ
कैसे,दूरियाँ बहुत है।
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