Sudha Sharma
माँ मेरे अनसुलझे प्रश्नों का उत्तर तो देना होगा
क्यू सूख गई तेरी ममता विश्वास ये दिलाना होगा
माँ मै तो तेरी परछाई बन तेरी कोख में आई थी
तेरा दुःख सुख अपना लुंगी ये मन में धार के लायी थी
लेकिन तुने माँ मुझको ये सौभाग्य नहीं दिया
एक चतुर कसाई से मिलकर गर्भ में ही मुझपर वार किया
कैसे सहन किया वो पल हिय को धीर दिलाना होगा
माँ मेरे अनसुलझे प्रश्नों का उत्तर तो देना होगा
क्यू सूख गई तेरी ममता विश्वास ये दिलाना होगा
माँ भैया को जनने में क्या पीड़ा कम होती है
बतला दे ऐ माँ मुझको मेरी विकल भावना रोती है
भैया को पढाने में क्या पापा का कम खर्चा होता
फिर मेरा पालन ही क्यू पापा पर बोझा होता
कब तक तू लाचार रहेगी और मुझे सहना होगा
माँ मेरे अनसुलझे प्रश्नों का उत्तर तो देना होगा
क्यू सूख गई तेरी ममता विश्वास ये दिलाना होगा
भैया के समकक्ष ही अब तो हर क्षेत्र में कदम बढ़ाया है
कितनी कठिन परीक्षा हो तेरा दूध नहीं लजाया है
फिर क्यू तुने मेरे लिए हृदय कपट नहीं खोला
उत्तर दो ना मुझको पूछ रहा अंतस भोला
कब तक तू खामोश रहेगी और मुझे चिल्लाना होगा
माँ मेरे अनसुलझे प्रश्नों का उत्तर तो देना होगा
क्यू सूख गई तेरी ममता विश्वास ये दिलाना होगा
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